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Network Interface Card को ही short form में NIC कहते हैं। NIC एक hardware component है , जिसे computer devices में computer को network से connect करने के लिए install किया जाता है। किसी network को create करने के लिए NIC बहुत important part है। कोई भी device device जो network से connect होना चाहती है , उसमे NIC card होना ही चाहिए। even Switches और Routers में भी network interface card (NIC) install होता है।
NIC या network interface controller, typically एक circuit board है जो computer में network connect करने के लिए installed किया जाता है।अभी ज्यादातर devices में, NIC cards built-in style में design किये जाते हैं।
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So , basically यह एक physical card या chip है जसिमे MAC addresses होता है जो network में devices को identify करने में help करता है।
NIC , OSI Model के layer - 1 : physical layer (data-link layer) पर work करता है। Actually, NIC computer से data collect करता है और transmission Channel पर send करता है। यह एक तरह से आपके computer और data network के बीच middleman की तरह work करता है। जो network में communicate कर रहे computers का data exchange के लिए responsible है। network में से कोई भी incoming data NIC द्वारा ही receive किया जाता हैs
MAC address एक physical address है जिसे manufacture द्वारा network interface card (NIC) पर assign किया जाता है। ताकि network में device को uniquely identify किया जा सके। यह 48-bit address होता , जिसमे hexadecimal numbers के 2 characters 6 sets में होते हैं। और हर set में 8 bits address होता है, जिसे colon से separate किया जाता है। जैसे - 2A:1B:55:23:5A:B3.
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Network में data transmit करने के लिए , सबसे पहले NIC card में present network protocol एक packet को buffer में transfer करता है।
Then , source और destination के MAC address data frame में as a header attach होते हैं और CRC calculate करते हैं। CRC (Cyclic Redundancy Code) एक numerical value है , जिसका main purpose errors को detect करना है।
और finally NIC frames को as bit signals transmit कर देता है।
Bit signals , send किये जाने वाले medium के साथ travel करती हैं और NIC द्वारा receive की जाती हैं, then receive की गया bits को frame में format की जाती है।
frame trailer में मौजूद CRC को calculate और compare किया जाता है।
अगर frame match नहीं होता है या damage या change होता है तो ,frame को discard कर दिया जाता है।
अगर CRC सही है तो , MAC address का use करके destination पर receive कर लिया जाता है।
MAC address को check और verify करने के बाद , data frame से header और trailer को remove कर दिया जाता है ।
NIC को Network Interface Card के अलावा भी इसे और कई नामों से भी जाना जाता है , नीचे इसके कुछ alias names की list दी गयी है।
Network interface controller / Ethernet controller
Physical network interface card
Connection card
Ethernet card
LAN Card
Network adaptor / network adaptor card
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एक NIC में काफी parts होते हैं जैसे - controller, boot ROM socket, NIC ports, motherboard connection interface, LED indicators, profile bracket, और कुछ electronic components. LAN card का हर component के होने unique function हैं।
Controller : NIC में controller एक तरह से mini CPU है। यह network adapter का core part है , controller directly network adapter की performance को decide करता है। computer द्वारा किये हर data transmission को controller ही process करता है।
Boot ROM socket : यह socket , card की boot ROM capability को enable करता है। Boot ROM , disk-less workstations को network से connect करने के लिए allows करता है।
NIC port : NIC ports का use Ethernet cable को directly connect करने के लिए किया जाता है। Normally NIC में एफ एक port होता है लेकिन ये एक से ज्यादा ports में भी आते हैं।
Bus interface : Bus interface , circuit board की तरफ होता है, जो NIC और computer के बीच connection बनाता है।
LED indicators : Indicators को help से users ये identify कर पाते हैं कि network सही से connected है और data transmit कर सकता है।
Profile bracket : ये Profile bracket computer या server के slot expansion में NIC fix करने में help करते हैं। दो तरह के profile brackets हैं , पहले जिन्हे full-height bracket कहते हैं जिनकी length 12 cm होती है। और दूसरे low-profile bracket जिनकी length of 8 cm होती है।
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