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TCP/IP model , OSI Model की तरह एक network communication protocol suite है, जो computer networks में data exchange करने के लिए use किया जाता है। ये model एक framework provide करता है जिससे data को transmit किया जाता है , ताकि devices एक दूसरे के साथ communication कर सकें।
TCP/IP model Internet Protocol Suite के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये Internet पर communication के लिए सबसे commonly use होता है।
TCP/IP model, TCP (Transport Control Protocol) और IP (Internet Protocol) के नाम पर है , क्योंकि ये दोनों protocols इस model का हिस्सा हैं। इस model का use Internet और local area networks (LANs) जैसे networks में data communication के लिए किया जाता है।
TCP/IP model का use data को parts (टुकड़े - टुकड़े) में break करके transmit करने और सही जगह तक पहुंचाने में होता है जिससे reliable communication हो सके।
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TCP/IP model में पूरा network layers में define है और हर layer हमें network architecture को समझने में help करती है , model में defined layers , अलग अलग networking functions को separately describe करती है।
TCP / IP model में 4 layers हैं -
Physical Layer
Network Layer
Transport Layer
Application Layer
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यह layer physical network hardware से जुडी हुई होती है , जैसे कि Ethernet cards, Wi-Fi adapters, switches, और hubs इसीलिए इसे physical layer कहते हैं। इस layer का काम data को physical signals में encode करना होता है जिससे ये hardware devices understand कर सकें।
Ethernet और MAC (Media Access Control) addresses इस layer पर काम करते हैं।
इस layer में data packets को source से destination तक पहुँचाने का काम होता है। इसमें IP (Internet Protocol) का use होता है , जिससे हर device को एक unique address मिलता है , ताकि data packets सही जगह पर पहुँच सकें।
IP address, subnetting, और routing इस layer के important concepts हैं।
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इस layer में data को end-to-end communication के लिए manage किया जाता है। ये layer communication को reliable बनाती है। इस layer में दो important protocols काम करते हैं।
TCP (Transmission Control Protocol) : ये protocol data को reliable तरीके से transmit करता है। Data packets को sequence में send करता है , errors को detect करता है और missing packets के लिए दुबारा request करना इस protocol important functions हैं।
UDP (User Datagram Protocol) : UDP भी data transmit करता है लेकिन ये connectionless होता है , मतलब ये data को verify नहीं करता और loss या duplication के case में भी corrections नहीं करता है।
इस layer में user-level applications और services का interaction होता है। यहां पर user data और communication का interface होता है। इसमें HTTP (Hypertext Transfer Protocol), FTP (File Transfer Protocol), SMTP (Simple Mail Transfer Protocol), aur DNS (Domain Name System) जैसे protocols का use होता है।
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Real-World Usage : OSI model एक theoretical model है और इसमें किसी specific protocol mention नहीं होता है। इसका main purpose network architecture को define करना है कि कैसे network में nodes / machines कैसे communicate करती हैं। TCP/IP model primarily Internet Protocol Suite के लिए design किया गया है , इसलिए Internet communication के लिए ज्यादा focus होता है। इसमें TCP, UDP, IP, और HTTP जैसे protocols का use होता है। In short TCP/IP model ही real world में communication के लिए use किया जाता है।
Layer Count : TCP/IP model में सिर्फ 4 primary layers हैं - Network Interface Layer, Internet Layer, Transport Layer, aur Application Layer. OSI model में 7 layers हैं - Physical Layer, Data Link Layer, Network Layer, Transport Layer, Session Layer, Presentation Layer, aur Application Layer.
Development History : TCP/IP model का development primarily ARPANET
(predecessor of the Internet) के विकास के दौरान हुआ और इसमें practical internet communication के लिए focus होता है। जबकि OSI model का development ISO
(International Organization for Standardization) के द्वारा हुआ और इसमें एक standardized approach को define करने का मकसद तह लेकिन इसका practical implementation TCP/IP model के comparison काम हुआ।
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